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स्वाधीन भारत में समाचार पत्रों की भूमिका और अमर उजाला; रजत जयंती विशेषांक में प्रकाशित संपादकीय

15 अगस्त, 1947 को आजादी के बाद देश, काल और परिस्थिति तेजी से बदल रही थी। ऐसे में जरूरत थी वक्त के साथ कदमताल करते अखबार की। वह अखबार जो समाज का दर्पण हो, तरक्की का सारथी और इतिहास को संजोने वाला हो। इस परिस्थिति में तब अमर उजाला को शुरू करने के विचार ने जन्म लिया। 18 अप्रैल 1948 को सच और असीमित जोश के साथ अमर उजाला की नींव रखी गई। आज यह 75 साल का सफर तय कर चुका है